कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का हरियाणा सरकार पर कड़ा प्रहार

Congress General Secretary and Rajya Sabha MP Randeep Singh Surjewala
चंडीगढ़, 17 सितम्बर 2025: Congress General Secretary and Rajya Sabha MP Randeep Singh Surjewala: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज हरियाणा की नायब सैनी सरकार पर धान और बाजरा की सरकारी खरीद में भारी देरी को लेकर तीखा हमला बोला। सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री की लापरवाही और सरकारी तंत्र की नाकामी ने किसानों को ऐसी स्थिति में पहुँचा दिया है कि उन्हें अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ रहा है या फिर मंडियों में भीगती फसल का दिन-रात पहरा देना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पीआर धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ₹2,369 प्रति क्विंटल और बाजरा का ₹2,775 प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन हकीकत यह है कि मंडियों में धान 1,900 से 2,100 रुपये और बाजरा मात्र 2,150 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। यह न केवल सरकारी वादों की खुली अवहेलना है बल्कि किसानों की कड़ी मेहनत का अपमान भी है।
सुरजेवाला ने कहा कि खरीफ सीजन शुरू हुए पाँच दिन बीत चुके हैं, फिर भी राज्य के 10 प्रमुख धान उत्पादक ज़िलों में से कम से कम 6 ज़िलों में सरकारी खरीद प्रारंभ नहीं हुई। कैथल, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, रेवाड़ी और नूंह जैसे ज़िलों में हजारों क्विंटल धान और बाजरा खुले में पड़ा है और लगातार बारिश के कारण सड़ने की कगार पर है। नमी बढ़ने से नई बुवाई भी प्रभावित हो रही है और किसान अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए मंडियों में दिन-रात डटे हुए हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मंडियों में न तो पर्याप्त तौल-केंद्र हैं और न ही उठान की समुचित व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया ऐसा है जैसे किसानों की मेहनत की कोई कीमत ही नहीं है। सुरजेवाला ने प्रेस वार्ता में कहा, “यह किसानों के साथ खुला विश्वासघात है। सरकार ने हर दाना एमएसपी पर खरीदने का वादा किया था, लेकिन 50 लाख क्विंटल से अधिक धान आज भी मंडियों में सड़ रहा है। किसान अपनी फसल को बचाने के लिए रातभर मंडियों में पहरा दे रहे हैं और सरकार चुनावी राजनीति में व्यस्त है।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में उर्वरक की किल्लत ने नई फसल की तैयारी को रोक दिया है और सरकार के पास इस समस्या से निपटने की कोई ठोस योजना नहीं है। सुरजेवाला ने स्पष्ट किया कि किसानों को तत्काल राहत देने के लिए धान और बाजरा की खरीदी बिना शर्त एमएसपी पर तुरंत शुरू की जानी चाहिए, 1509 बासमती व अन्य महीन किस्म के लिए 3,500 रुपये प्रति क्विंटल पर विशेष खरीद कार्यक्रम लागू करना चाहिए, बारिश से प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 50,000 रुपये का सीधा मुआवज़ा देना चाहिए और डीएपी खाद की वास्तविक ज़रूरत व आपूर्ति पर तत्काल रिपोर्ट जारी कर वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने देरी का कारण भारी बारिश बताया और दावा किया कि खरीद जल्द शुरू होगी, लेकिन उन्होंने न तो कोई तारीख बताई और न यह स्पष्ट किया कि मंडियों में पहले से पड़ी फसल का क्या होगा। किसानों का कहना है कि यह केवल आश्वासन है, समाधान नहीं।
सुरजेवाला ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने एक सप्ताह के भीतर खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं की तो प्रदेशभर में आंदोलन तेज़ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लगभग पाँच हजार गाँवों में किसान पहले ही धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मेहनत का अपमान किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह संकट केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है और फसल कटाई के चरम समय में इस तरह की लापरवाही राज्य सरकार की साख पर गंभीर चोट पहुँचाएगी। उन्होंने दोहराया कि हरियाणा की मंडियों में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या सरकार समय रहते किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिला पाएगी या यह देरी लाखों किसानों को कर्ज और बर्बादी की गहराई में धकेल देगी।